युक्रेन से छत्तीसगढ़ वापस आई MBBS की छात्रा दीप्ति ने बताया अनुभव , कहा तिरंगे बना था कवच
दुर्ग , 08-03-2022 2:37:37 PM
दुर्ग 08 मार्च 2022 - घर से स्टेशन पहुंचने तक कई बम धमाके हुए। हमले से बचने कभी जमीन पर लेट जाते तो कभी सुरक्षित रास्ता देखकर भागते। यूक्रेन के प्रमुख शहरों में से एक खारकीव में हमले के बाद खाने का सामान खत्म हो गया। खरीददारी के लिए जाते भी कहां, क्योंकि समूचे शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। हमले से जान बचाने बंकर के भीतर छुपकर बैठे रहने की मजबूरी जो थी। पास में जो बिस्किट और पानी बचा था उसके सहारे छह दिनों तक जिंदा रहे।
घर से स्टेशन पहुंचने के दौरान कई स्थानों पर बम धमाके हुए। सभी भारतीय हाथों में तिरंगा झंडा लेकर घर से निकले थे और यही तिरंगा उनके लिए सुरक्षा कवच बना। रास्ते में धमाका होने पर जान बचाने जमीन पर लेटना पड़ा। इस दौरान तैनात यूक्रेनी फौज ने भारतीयों की काफी मदद की। भारतीयों को सुरक्षित रास्ता भी बताया। ये सब कहना है यूक्रेन के खारकीव में MBBS प्रथम वर्ष की पढ़ाई करने गई भिलाई की बेटी दीप्ति पांडेय का जो सोमवार देर रात सकुशल अपने घर पहुंच गई।
जुनवानी निवासी दीप्ति ने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे भयानक युद्ध के दौरान आपबीती को बताई। दीप्ति ने बताया कि घर वापसी के लिए वह 24 फरवरी की सुबह फ्लाइट का टिकट कराने वाली थी। लेकिन 24 फरवरी की सुबह दीप्ति की नींद खुली तो सायरन की आवाज सुनकर सहेली ने आकर बताया कि कीव पर रूसी हमला शुरू हो गया है।
सायरन की आवाज उसी हमले से पहले की है। इस बीच कालेज प्रबंधन के लोगों ने कहा कि हमला आगे भी जारी रह सकता है इसलिए खाने पाने के लिए दो दिन का सामान लेकर आ जाओ। दीप्ति ने बताया कि माल में खरीददारी के लिए पहुंचे तो वहां यूक्रेनियों की भीड़ लग चुकी थी। बड़ी मुश्किल से दो दिन के लिए खाने पीने का सामान खरीद पाए। लेकिन 26 फरवरी को खारकीव पर भी रूसी हमला शुरू हो गया। जान बचाने कालेज के सभी विद्यार्थियों ने बंकर में शरण ली। सुबह से शाम तक बंकर में ही रहना पड़ता था। खारकीव में निरंतर हमला शुरू होने के बाद खाने पाने के सामान को लेकर स्थिति बिगड़ने लगी।
दीप्ति ने बताया कि उसके पास बिस्किट,पानी और कुछ स्नेक बचा हुआ था जिसे खाकर वह छह दिन जिंदा रही। भारतीय दूतावास के लोगों ने जैसे तैसे खारकीव से उन्हें बाहर निकालने की व्यवस्था की। उन्हें रोमानिया बार्डर लाया गया। फिर वहां से ट्रेन से सुवेचा ले जाया गया। दीप्ति ने बताया कि सुवेचा एयरपोर्ट को भारतीय अधिकारियों ने खुलवाया। यह छोटा सा एयरपोर्ट है। उसने बताया कि रविवार रात वे सुवेचा एयरपोर्ट में फ्लाइट से बैठकर दिल्ली आई। दिल्ली से सोमवार सुबह उन्हें छत्तीसगढ़ के लिए रवाना किया गया।
दीप्ति ने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद जगह-जगह बम धमाकों की आवाज ही सुनाई पड़ती है। उन्होंने बताया कि ट्रेनों में आने जाने को लेकर यूक्रेनियन को पहली प्राथमिकता दी जा रही है। पहले यूक्रेनियन बच्चे,फिर महिलाएं और उसके बाद पुरुषों को ट्रेन में चढ़ने दिया जाता है।
इसके बाद वहां रहने वाले दूसरे देश को लोगों को ट्रेन में चढ़ने की इजाजत दी जाती है। इसकी वजह से लोगों को भारी परेशानी हो रही है। दीप्ति के मुताबिक अभी भी कई भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि वापसी के दौरान केंद्र सरकार के अधिकारियों ने सभी लोगों को ध्यान रखा। छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद यहां के अधिकारियों ने भी सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई।



















