छत्तीसगढ़ - 2003 में हुआ था पहला पोलटिकल मर्डर , मुख्यमंत्री भी बने थे आरोपी , पढ़े पूरी दास्तान
रायपुर , 13-10-2023 6:51:41 AM
रायपुर 13 अक्टूबर 2023 - जग्गी हत्याकांड करीब 20 साल पहले हुई इस हत्या को छत्तीसगढ़ के इतिहास की पहली राजनीतिक हत्या मानी जाती है। मौदहापारा थाना से चंद कदमों की दूरी पर हुई इस हत्या के मामलें में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी का नाम मुख्य आरोपी के रुप में दर्ज हुआ था।
पहले पुलिस फिर CBI ने इसकी जांच की CBI ने कुल 31 लोगों को आरोपी बनाया था। यह हत्या का पहला ऐसा मामला था जिसमें मुख्यमंत्री को भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में 2007 में अजीत जोगी की गिरफ्तारी हुई, तब वे मुख्यमंत्री के पद पर नहीं थे। हालांकि वे जेल नहीं गए, स्वास्थ्यगत कारणों से उन्हें जमानत मिल गई। पढ़िए इस बहुचर्चित घटना की पूरी कहानी ...
जग्गी जिनका पूरा नाम रामावतार जग्गी था। व्यावसायिक पृष्ठभूमि वाले जग्गी देश के कद्दावार नेताओं में शामिल विद्या चरण (वीसी) शुक्ल के बेहद करीबी थे। शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) में पहुंचे तो जग्गी भी उनके साथ NCP में आ गए। वीसी ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया।
छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तब विधानसभा में कांग्रेस बहुमत में थी। कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे वीसी का नाम चल रहा था। लेकिन पार्टी ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इसकी वजह से पहले से नाराज चल रहे वीसी पार्टी में बार-बार हो रही उपेक्षा से और भड़क गए।
नवंबर 2003 में चुनाव होना था। चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर NCP ज्वाइन कर लिया। वीसी के समर्थक पूरे प्रदेश में थे, ऐसे में थोड़े ही समय में पूरे प्रदेश में NCP का माहौल बन गया। NCP की बढ़ती लोकप्रियता से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का डर सताने लगा। जग्गी की हत्या से कुछ दिन पहले NCP की एक बड़ी रैली प्रस्तावित थी। इसमें शरद पवार , पीए संगमा सहित पार्टी के अन्य बड़े नेता आने वाले थे।
NCP के बड़े आयोजन की तैयारी में रामावतार जग्गी जग्गी पूरी तरह व्यस्त थे। घटना 4 जून 2003 की है। रात करीब 11 बजे जग्गी अपनी कार से एमजी रोड से केके रोड की तरफ आ रहे थे। तभी मौदहापारा थाना से कुछ दूरी पर कुछ लोगों ने उनकी कार को रोका और गोली मार कर फरार हो गए। इस घटना में जग्गी गंभीर रुप से घायल हो गए हैं। जग्गी को पहले मौदहापारा थाना ले जाया गया। वहां से मेडिकल कॉलेज अस्पताल यानी अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। पुलिस इसे लूट की घटना बताती रही।
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा प्रदेश की सत्ता में आई। भाजपा सरकार ने मामला CBI को सौंप दिया। CBI ने 2003 में राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी की तरफ से दर्ज FIR के आधार पर जांच शुरू की। लंबी जांच - पड़ताल और गिरफ्तारियों के बाद CBI ने रायपुर की विशेष कोर्ट में चालान पेश किया।
इसमें 31 लोगों को आरोपी बनाया गया था , CBI की चार्जशीट में अतिम जोगी को मुख्य आरोपी बताया गया था। इसमें वो पांचों आरोपी भी शामिल थे जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अमित जोगी के अलावा शूटर चिमन सिंह , याहया ढेबर , अभय गोयल , शिवेंद्र सिंह , फिरोज सिद्दिकी , विक्रम शर्मा , राकेश शर्मा , अशोक भदौरिया , संजय कुशवाहा , राजीव भदौरिया , नरसी शर्मा , विवेक भदौरिया , रवि कुशवाहा , सत्येंद्र सिंह तोमर , सुनील गुली , अमित पचौरी व हरीश चंद्र शामिल थे।
सतीश जग्गी की तरफ से दर्ज कराए गए FIR में अजीत जोगी का भी नाम था, इस वजह से अदालत ने उनकी भी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। यह बात 2007 की है। कोर्ट से जारी वारंट के आधार पर पुलिस ने अजित जोगी को कवर्धा के पास स्थित विरेंद्रनगर के पास गिरफ्तार कर लिया, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण अजित जोगी तो तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इस बीच अजित जोगी ने वकील के माध्यम से कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की। जोगी के स्वास्थ्य को देखते हुए कोर्ट ने एक लाख रुपये के मुचलके पर उन्हें जमानत दे दिया बाद में इस केस से जोगी का नाम हट गया।
कोर्ट ने इस मामले में तीन पुलिस अधिकारियों सहित नौ लोगों को पांच-पांच वर्ष और अन्य 19 आरोपियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई। जिनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई उनमें शूटर चिमन सिंह , याहया ढेबर , अभय गोयल , शिवेंद्र सिंह , फिरोज सिद्दिकी , विक्रम शर्मा , राकेश शर्मा , अशोक भदौरिया , संजय कुशवाहा , राजीव भदौरिया , नरसी शर्मा , विवेक भदौरिया , रवि कुशवाहा , सत्येंद्र सिंह तोमर , सुनील गुली , अमित पचौरी तथा हरीश चंद्र शामिल थे।


















