सक्ती थाने में जुगनू को इतनी छूट मिली कैसे, कौन दे रहा है जुगनू को संरक्षण, सजायाफ्ता होने के बाद भी जुगनू बना पुलिस की आंखों का तारा
सक्ती 23 दिसम्बर 2025 - सड़े हुए गोबर से पैदा हुआ "जुगनू" रात में तो टिमटिमा कर रौशनी देता है जो देखने मे काफी आकर्षक लगता है लेकिन "जुगनू" को पाला या पिंजरे में कैद कर पालतू नही बनाया जा सकता है। लेकिन सक्ती पुलिस ना सिर्फ "जुगनू" को पाले हुए है बल्कि उसके दाना पानी का भी ख्याल रख रहे है यही वजह है कि इस "जुगनू" की टिमटीमी से पूरा सक्ती थाना चमचमाता है।
ये "जुगनू" ना तो कोई थानेदार है और ना पुलिस कप्तान फिर भी यह "जुगनू" सुबह से लेकर देर रात तक सक्ती थाने में बिना तनख्वाह के 24 घंटे की ड्यूटी बजाते रहता है और इस बात का सबूत थाने में लगे CCTV में आसानी से मिल जाएगा।
अब सवाल यह है कि आखिर ये "जुगनू" नाम का प्राणी आखिर थाने में करता क्या है??, वैसे तो सक्ती के मुश्तैद पुलिसकर्मी थाने आने वाले फरियादियों की पूरी तरह अपनी भाषा मे खैरखबर लेते है लेकिन "जुगनू" को कोई पूछने वाला नही है। वो जब चाहे हिरासत में लिए गए संदेहियों से बात करे या फिर सक्ती पुलिस की पेट्रोलिंग बलेरो में नीली पीली बत्ती जलाकर सायरन बजाते हुए शहर की सड़कों में घूमे।
खास बात यह है कि अभी हाल ही में यह "जुगनू" दो दिन जेल में बीता कर जमानत पर बाहर आया है ऐसे में किसी आरोपी का थाने में पुलिसकर्मियों की तरह काम करना कई संदेहों को जन्म देता है। पूर्व SP अंकिता शर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान थाने में बाहरी ब्यक्तियो के कार्य करने पर पूरी तरह से रोक लगा दिया था। लेकिन उनके तबादले के बाद थाने में फिर से पुराना ढर्रा शुरू हो गया
अब बात मुद्दे की तो "जुगनू" को सक्ती थाने में इतना छूट या पावर किसने दिया??, आखिर "जुगनू" दिन भर थाने में क्या करते रहता है??, हिरासत में लिए गए संदेहियों या आरोपियों से "जुगनू" को बात करने क्यो दिया जाता हैं??, सजायाफ्ता होने के बाद भी "जुगनू" से थाने का काम क्यो लिया जाता है??, अगर "जुगनू" से थाने का काम लिया जाता है तो उसकी तनख्वाह कौन और किस मद से देता है??, क्या इन सबके बारे में उच्च अधिकारियों को जानकारी है?? ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब सक्ती को लोग चाहते है।


















