छत्तीसगढ़ - सभी पार्टी के घोषणा पत्र से शराब बंदी का मुद्दा हुआ गायब , भूल गए या कुछ और है मामला , पढ़े पूरी खबर
रायपुर , 06-11-2023 7:01:55 AM
रायपुर 06 नवंबर 2023 - छत्तीसगढ़ में पहले चरण के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस,बीजेपी और आम आदमी पार्टी का घोषणा पत्र जारी हो गया। लेकिन तीनों ही राष्ट्रीय पार्टियों ने अपने-अपने घोषणा पत्र में शराब बंदी के मुद्दे पर से इस बार दूरी बना ली है। मतलब साफ है प्रदेश में अगर राजनीति करनी है….तो “शराब जरूरी है”।
ऐसा इसलिए क्योंकि शराब बंदी के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी पूरे 5 साल तक एक-दूसरे को घेरते रही। लेकिन जब चुनाव का वक्त आया, तो ना केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी शराब बंदी को लेकर वादा करने तक की हिम्मत नही जुटा पाई।
बीजेपी के बाद अब रविवार को कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। रविवार को ही आम आदमी पार्टी का भी घोषणा पत्र छत्तीसगढ़ की जनता के लिए जारी किया गया। तीनों राष्ट्रीय पार्टियों के घोषणा पत्रों पर गौर करे तो पहला मुद्दा धान और किसान है।
तीनों पार्टियों ने प्रदेश की नब्ज को समझते हुए अपने घोषणा पत्र में धान-किसान, महिला-बेराजगार और युवाओं को साधने का भरसक प्रयास किया है। लेकिन पूरे पांच साल तक जिस शराब बंदी के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे के आमने-सामने होती रही,उसी शराब बंदी के मुद्दे पर ना तो कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कोई जिक्र किया और ना ही कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाने वाली बीजेपी ने कोई वादा करने की जरूरत महसूस की।
मतलब साफ है छत्तीसगढ़ में राजनीति करनी है, तो शराब जरूरी है। यहीं वजह है कि साल 2018 में शराबबंदी का वादा करने के बाद जिस तरह से सरकार पूरे पांच सालों तक विपक्ष का निशाना बनती रही, और हर बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित उनके मंत्री संतोषजनक जवाब दे पाने में असमर्थ नजर आये। कार्यकाल पूरा होने के करीब आने के बाद भी प्रदेश में शराबबंदी कर पाना आज भी एक बड़ा चैलेंज ही है।
बस यहीं वजह है कि साल 2018 में जो गलती कांग्रेस ने किया,वहीं गलती अब ना तो विपक्ष में मौजूद बीजेपी करना चाहती है और ना ही मौजूदा कांग्रेस की सरकार कारण साफ है प्रदेश में शराब की बिक्री से अरबों का राजस्व मिलता है। ऐसे में कोई भी पार्टी में सरकार में आने के बाद शराबबंदी कर सरकार के राजस्व में आर्थिक चोट नही करना चाहेगी। यहीं वजह है कि छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी के मुद्दे पर इस बार राष्ट्रीय पार्टियों के साथ ही किसी भी राजनीतिक दल वादा तक करने की हिम्मत नही जुटा सकी।



















