सक्ती - बुधवारी बाजार तो सिर्फ ट्रैलर था , प्रशासनिक भूकंप का अगला केंद्र होगा कँहा होगा , पढ़े इस खबर में ,,,
सक्ती , 28-02-2023 1:20:06 AM
सक्ती 27 फरवरी 2023 - जिला मुख्यालय सक्ती में पिछले 24 फरवरी से लगातार हो रहे प्रशासनिक भूकंप तबाही मचा दी है इस प्रशासनिक भूकंप से सैकड़ो लोग जँहा बेरोजगार हो गए है वही उनके परिवार के सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है और रोजीरोटी का यह संकट कोरोना काल के लॉकडाउन से भी ज्यादा खतरनाक है , कोरोना काल मे लोग अपनी जान के भय से घरों में दुबक कर किसी तरह उस बुरे दौर से बाहर निकले ही थे की अब एक और नई मुसीबत उनके गले आन पड़ी।
इस प्रशासनिक कार्यवाही को लेकर शहर में कई तरह के चर्चो का बाजार गर्म है , प्रभावित लोग अलग राग अलाप रहे है तो प्रभावित होने के डर से बड़े लोग माननीय उच्च न्यायालय की शरण मे जा रहे है लेकिन होना जाना कुछ नही है सक्ती का नक्शा बदलना तय है और उसे जिम्मेदार बदल कर ही दम लेंगे।
हर विकास कुर्बानी मांगती है और वह उस लेकर रहती है सक्ती जनता ने जिले के रूप में विकास मांगा तो कुर्बानी तो देनी ही पड़ेगी इसे कोई नही रोक सकता है। लेकिन दुःखद बात यह है कि एक भी जिम्मेदार गरीबो के आशियानों को बचाने के लिए ना तो सामने आया और आएगा भी कैसे क्योंकि सरकार भी उन्हीं की है और बुलडोजर भी उनका है यही वजह है कि इतनी बड़ी कार्यवाही में ना कोई आंदोलन हुआ ना काले झंडे दिखाए गए सभी मूकदर्शक बने चाय की चुस्की लेते हुए दफ्तर या घर मे अखबार में खबर पढ़ते रहे।
बता दे कि बुधवारी बाजार तो सिर्फ एक शुरुआत है अभी तो कचहरी चौक , नौधा चौक , कचहरी से हटरी रोड , बुधवारी बाजार से थाना चौक , अखराभांठा रोड , पुराना NH 49 , झुलकदम रोड या फिर यूँ कहे कि पूरे सक्ती शहर को अतिक्रमण मुक्त की तैयारी लगभग हो चुकी है। बुधवारी बाजार में अतिक्रमण हटा कर प्रसासन शायद यह देखना चाह रहा था कि जिन लोगो ने सक्ती को जिला बनाने के लिए इतने संघर्ष किये वे इन ब्यापारियों के समर्थन में खड़े होते है कि नही।
अब प्रसासन को अब पता चल गया कि सक्ती सिर्फ नाम की है और वँहा शक्ति है ही नही , हमने तो आपको आगाह कर दिया बाकी आपकी मर्जी , तेरा टूटे तो मुझे क्या करना और मेरा टूटे तो आँशु पोछने आ जाना।
बाकी तो जै जोहार है ,,,


















