सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र को कानूनी मान्यता देने से किया इंकार
नई दिल्ली , 04-06-2022 4:46:42 PM
नई दिल्ली 04 जून 2022 - आर्य समाज मंदिरों की शादी कानूनी तौर पर वैध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये अहम फैसला सुनाते हुए आर्य समाज की ओर से जारी विवाह प्रमाणपत्र (Marriage Certificate) को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि आर्य समाज का काम विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है, ये काम सक्षम प्राधिकरण ही करते हैं। इसलिए कोर्ट ने विवाह का असली प्रमाणपत्र पेश करने का निर्देश दिया।
क्या था मामला?
प्रेम विवाह के एक मामले में लड़की के घरवालों ने लड़की को नाबालिग बताते हुए उसके अपहरण और रेप की एफआईआर दर्ज करा रखी है। वहीं आरोपी युवक का कहना था कि लड़की बालिग है और उसने अपनी मर्जी विवाह का फैसला किया है। युवक ने आर्य समाज मंदिर में शादी होने की बात कहते हुए मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र कोर्ट में पेश किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इंकार कर दिया।
पहले भी उठा है मामला
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने को हामी भर दी थी, जिसमें आर्य समाज संगठन के मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा को विवाह संपन्न करते समय विशेष विवाह अधिनियम 1954 ("एसएमए") के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट के आदेश के संचालन पर रोक लगा दी, जहां सभा को एसएमए की धारा 5, 6, 7 और 8 के प्रावधानों को शामिल करते हुए, अपने दिशानिर्देशों में एक महीने के समय में संशोधन करने का निर्देश दिया गया था। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आर्य समाज मंदिर के एक 'प्रधान' द्वारा जारी प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दिए थे।
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