देश मे फिर लगा लेवल वन का लॉकडाउन , सड़कें सूनी , खाली बाजार , ओमिक्रॉन ने रोका विकास का रफ्तार
देश विदेश , 2021-12-05 03:59:28
साउथ अफ्रीका 04 दिसंबर 2021 - कोरोना का खौफ फिर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. एक बार फिर कई देश ट्रैवल बैन जैसे कड़े फैसले लेते दिख रहे हैं. ये सब हो रहा है, कई पाबंदियां लौट रही हैं, कारण सिर्फ एक है-ओमिक्रॉन वेरिएंट. इस समय अफ्रीकी देशों में कोरोना के इस नए और ज्यादा ताकतवर वेरिएंट से दुनिया को बड़ा अंदेशा है।
अब पूरी दुनिया तो ओमिक्रॉन से सहमी दिख ही रही है, लेकिन सबसे ज्यादा खराब स्थिति साउथ अफ्रीका में चल रही है. इस अफ्रीकी देश में भारी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. स्थिति ज्यादा खराब इसलिए है क्योंकि ज्यादातर मरीज ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित दिखाई पड़ रहे हैं. हालात कितने चिंताजनक हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि साउथ अफ्रीका में लेवल वन का लॉकडाउन लगा दिया गया है. बाजार बंद चल रहे हैं, सड़कें सूनी पड़ चुकी हैं और लोग फिर अपने घर की चहारदीवारी में कैद दिख रहे हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि साउथ अफ्रीका में कुल पांच तरह के लॉकडाउन लगाए जा सकते हैं. इसमें सबसे सख्त लॉकडाउन पांचवी श्रेणी का माना जाता है. ऐसे में अभी के लिए साउथ अफ्रीका में लॉकडाउन 1 लगाया गया है. लेकिन अगर स्थिति ज्यादा बिगड़ती है तो सरकार और सख्ती पर विचार कर सकती है. अभी के लिए लॉकडाउन की पहली श्रेणी से ही लोग परेशान होने लगे हैं. व्यापारी बता रहे हैं कि उनका बिजनेस पूरी तरह ठप हो चुका है. नुकसान तो इसलिए भी हो रहा है क्योंकि कई देशों ने साउथ अफ्रीका पर ट्रैवल बैन लगा दिया है।
इस लिस्ट में अमेरिका , कनाडा , ब्राजील , थाइलैंड , ऑस्ट्रेलिया , सिंगापुर जैसे कई देश शामिल हैं. WHO जरूर इस कदम की पैरवी नहीं कर रहा है लेकिन ओमिक्रॉन का ऐसा खौफ है कि कई देश समय से पहले ज्यदा सख्ती दिखाते दिख रहे हैं।
ऐसे में साउथ अफ्रीका अभी कई मामलों में मुश्किल दौर से गुजर रहा है. वहां पर कोरोना के मामले तो ज्यादा आ रहे हैं,लेकिन उनसे निपटने की क्षमता देश में नहीं दिख रही. अस्पताल मरीजों से भर चुके हैं, इलाज मिलना भी चुनौती बन गया है. लेकिन इस मुश्किल वक्त में साउथ अफ्रीका की मदद को भारत आगे आया है जो अपनी तरफ से जीवन रक्षक दवाएं , कोरोना किट , टेस्टिंग किट , वेटिंलेटर देने जा रहा है. इस सब के अलावा भारत अपनी स्वदेशी वैक्सीन भी साउथ अफ्रीका को उपलब्ध करवा सकता है।