सक्ती में ब्रम्हानंद ने फोड़ा एटमबम , किया एक बड़े और गंदे धंधे का खुलासा , खबर पढ़ कर उड़ जाएगा होश..
सक्ती 26अगस्त 2025 - डॉक्टरो को धरती का भगवान कहा जाता है। बीमार लोग डॉक्टरों के पास जा कर इस उम्मीद में बेहिचक अपनी सारी बीमारी बता देते है क्योंकि उन्हें स्वस्थ होने का लालसा रहता है या फिर यू कहे कि उन्हें यह भरोसा रहता है कि डॉक्टर उन्हें बड़े से बड़े रोग का ईलाज कर नया जीवन देंगे। लेकिन जब धरती के भगवान कहे जाने वाले कुछ डॉक्टर चंद रुपयों के लालच में आपकी ना सिर्फ आपकी जेब ढीली करते है बल्कि आपके जान के साथ खिलवाड़ करने से भी परहेज नही करते है।
इस बार ब्रम्हानंद पूरे सबूतों के साथ जो जानकारी लेकर आया है उसे जानकर आपके पैरों के नीचे से धरती खिसक जाएगी। दरअसल हम बात कर रहे है ड्रग माफियाओं की जो सक्ती के कुछ डॉक्टरों को मोटी कमिसन देकर सस्ती और घटिया दवाई लिखवा रहे है। ये ऐसी दवाएं है जिसमे कीमत तो भारी भरकम लिखा रहता है लेकिन असल मे इन दवाओं की कीमत कौड़ियों के भाव रहती है या फिर यू कहे कि यह किलो के भाव मे मिलती है।
ब्रम्हानंद की माने तो सक्ती का एक थोक दवा विक्रेता डॉक्टरों को 40 प्रतिशत कमिसन देकर ऐसी दवाओं को लिखवा रहा है जिसकी कीमत तो मात्र 10 रुपये रहती है लेकिन आपको यह दवा 02 से 03 सौ रुपए प्रति स्ट्रिप के हिसाब से बेची जाती है। ब्रम्हानंद के पास इस बात के पुख्ता सबूत है कि इन दिनों सक्ती के कुछ डॉक्टर 07 PG कंपनियों की 120 से अधिक प्रोडक्ट (दवाईयां) लगभग सभी पर्चियों में लिख रहे है।
ब्रम्हानंद के मुताबिक इस पूरे खेल को उक्त थोक दवा विक्रेता और डॉक्टर मिल कर अंजाम दे रहे है इसमें दवा दुकानदारो की कोई खास भूमिका नही है। क्योंकि इन दवाओं के बदले दवाई दुकान वालो को 18 प्रतिशत कमिसन और 10+1 की स्कीम दी जाती है जो लगभग सभी ब्रांडेड कंपनियां देती है।
ब्रम्हानंद का दावा है कि सक्ती के डॉक्टर सिर्फ उन 07 PG कंपनियों के दवाईयों को लिख रहे है जिनकी डीलरशिप इस खास थोक विक्रेता के पास है। और इन डॉक्टरों की पर्ची पर लिखी यह दवाईयां सक्ती के अलावा पूरे छत्तीसगढ़ में और कंही नही मिलेगी। अगर आपको यकीन ना हो तो सक्ती के किसी भी प्रायवेट डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन लेकर सक्ती को छोड़ अन्य जिलों या बड़े शहरों की दवाई की दुकान में पता कर सकते हैं।
ब्रम्हानंद के हाथ कुछ पर्चियां और दवाओं के बिल लगे है जिसकी पुष्टि ब्रम्हानंद ने खुद छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों में जा कर की है। नाम ना छापने की शर्त पर एक दवा दुकानदार ने ब्रम्हानंद को बताया कि इस तरह की दवाओं को PG (प्रोपोगेंडा) कहा जाता है और कंपनी इन दवाओं की डीलरशिप एक राज्य के एक ही थोक विक्रेता को देती है जिससे उसकी मोनोपोली बनी रहे और वो चाहे जितनी भी कीमत पर इसे बेचे।
ये खेल काफी बड़ा है और इसे आपके और हमारे बीच खेला जा रहा है। ब्रम्हानंद इस गंदे खेल का खुलासा करने में जुटा है। हो सके तो अगली कड़ी में हम आपको कुछ और बड़ी जानकारी देंगे।
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