सक्ती - बर्खास्त आरक्षक किशोर साहू द्वारा सताए गए रिक्सा चालक को 03 साल बाद मिला न्याय , जाने क्या है मामला
सक्ती 26 अगस्त 2025 - गरीब रिक्शा चालक को बिना किसी अपराध के आरोपी बनाकर उससे 17 हजार वसूल लिए गए। पौने तीन साल के संघर्ष के बाद आखिरकार उसे हाईकोर्ट से इन्साफ मिला है. और हाईकोर्ट ने FIR को रद्द करने का आदेश दिया है।
याचिका के मुताबिक जयप्रकाश रात्रे अनपढ़ रिक्शा चालक है। 02 नवंबर 2022 को वह अपने घर पर शराब पी रहा था। उसी समय एक पुलिस कांस्टेबल किशोर साहू (685) और सिविल ड्रेस में तीन अन्य कांस्टेबल पहुंचे और रिक्शा चालक को थाने ले आए। 17 हजार रुपए की जबरन वसूली भी कर ली गई।
याचिकाकर्ता जयप्रकाश रात्रे को थाने में तब तक रखा गया जब तक कि उक्त कांस्टेबल को राशि का भुगतान नहीं किया गया। 17 हजार लेने के बाद भी याचिका कर्ता जयप्रकाश रात्रे के खिलाफ आबकारी एक्ट की धारा 34(1)(ए) के तहत झूठा मामला दर्ज कर दिया गया। हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह भी बताया गया कि 2 वर्ष और 9 महीने बीत जाने के बाद भी वर्तमान मामले में आरोप-पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका भी दायर की है, जिसमें कांस्टेबल किशोर साहू (685) के खिलाफ आपराधिक और विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि मामले में DGP ने हलफनामा दायर किया है। इसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ आबकारी एक्ट की धारा 34 (1)(ए) के तहत FIR दर्ज की गई है और उसे बांड भरने के बाद पुलिस ने रिहा कर दिया था।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि 2 वर्ष और 9 महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई आरोप-पत्र दायर नहीं किया गया है। प्राथमिकी के अवलोकन से भी प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ पुलिस स्टेशन सक्ती, में आबकारी अधिनियम की धारा 34 (1) (ए) के तहत पंजीकृत अपराध संख्या 398/2022 की FIR रद्द की जाती है।
इस मामले में हाईकोर्ट में पहले क्रिमिनल रिट पिटीशन पेश की गई थी। हाईकोर्ट ने जांच का आदेश दिया था। जांच के बाद दोषी पुलिस कर्मी को लाइन अटैच कर दिया गया था। इसके बाद मिस्लेनियस क्रिमिनल पिटीशन पेश कर FIR निरस्त करने की मांग की गई। DGP ने इस मामले में 4 थानेदारों के खिलाफ निंदा की सजा दी और एक SI को सस्पेंड कर दिया था। वर्तमान पिटीशन में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीबी में सुनवाई हुई।
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