कलेक्टर और SP के बच्चों को आरक्षण का लाभ क्यों ??? , पूछ रहे छत्तीसगढ़ के आदिवासी प्रतिभागी छात्र
रायपुर , 08-09-2023 6:25:10 AM
रायपुर 08 सितंबर 2023 - कलेक्टर और SP जिले के सबसे पॉवरफुल अफसर होते हैं। जिले का पूरा शासन-प्रशासन और कानून व्यवस्था इनके हाथ में होता है। इनके साथ परिवार के बाकी सदस्यों को भी पूरी सुविधाएं होती हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या कलेक्टर-एसपी के बच्चों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। छत्तीसगढ़ पीएससी में एक कलेक्टर के बेटे का सलेक्शन होने पर NPG के दफ्तर में ऐसे कई फोन कॉल आए हैं, जिसमें यह सवाल उठाए गए हैं कि आखिर कलेक्टर के बेटे को आरक्षण का लाभ क्यों मिलना चाहिए। फोन करने वालों में प्रयास रायपुर, सूरजपुर और कांकेर के बच्चे शामिल हैं।
दरअसल, आरक्षण को लेकर एक स्पष्ट धारणा थी कि समाज के वंचित वर्ग का जीवन स्तर बाकी लोगों के बराबर आए। उन्हें भी शिक्षा, स्वास्थ्य सहित तमाम सुविधाएं उपलब्ध हों। समाज के वंचित वर्ग के लोग जब कलेक्टर और एसपी बन जाएं तो यह माना जाता है कि उनका जीवन स्तर ऊपर उठ चुका है और वे अपने परिवार के बाकी सदस्यों को भी अच्छी सुख-सुविधा दे सकते हैं। ऐसे में आरक्षण की जरूरत उन लोगों को है, जो आज भी दूरदराज के गांव या जंगल में रहते हैं। उनके पास अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, खान-पान जैसी सुविधाएं नहीं हैं।
आरक्षण पर बात करें तो यह कानूनी अधिकार है। इससे वंचित नहीं किया जा सकता। अब बहस इस बात की छिड़ी है कि कलेक्टर-एसपी के बच्चों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए या नहीं? लंबे समय से यह बात समाज में ही उठ रही है कि अनुसूचित समाज में भी दो वर्ग बन गए हैं। एक वर्ग उनका है, जिनका जीवन स्तर पहले ही बेहतर हो चुका है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों में शामिल इस वर्ग के आगे की पीढ़ी भी इसी तरह शिक्षित होकर आगे बढ़ती रहती है। दूसरा वर्ग उन लोगों का है, जो अभी भी गांव और जंगल में ही जीवन यापन कर रहे हैं। आरक्षण का लाभ इन लोगों तक नहीं पहुंच रहा है, जबकि अब असल जरूरत इन लोगों को है।
इस बात को लेकर लंबे समय से यह बहस चल रही है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से जो सक्षम हो चुके हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। अब उन लोगों को आगे लाने की कोशिश की जानी चाहिए जो अब भी पिछड़े हुए हैं। इससे ही संविधान में आरक्षण के प्रावधान का सही अर्थ निकल पाएगा। इस पर कई बार देश की सर्वोच्च अदालत तक मामला पहुंचा है, लेकिन कोई स्पष्ट नियम कानून नहीं बन पाया, जिससे समाज में आगे आ चुके वर्ग के बच्चों के बजाय उसी वर्ग के पिछड़े वर्ग को ही आरक्षण का लाभ मिले।
पूरे देश में एसटी, एससी और ओबीसी में ही एक बड़ा वर्ग है, जिसका यह मानना है कि आरक्षण का लाभ कुछ लोगों को ही क्यों मिलता है। सिर्फ सरकारी सिस्टम में ही नहीं, बल्कि राजनीति में भी यह देखने में आया है कि आरक्षण के बूते एक बार विधानसभा या लोकसभा तक पहुंचने वाले नेताजी का परिवार ही हमेशा के लिए आगे जाता है, जबकि उनके कार्यकर्ता और समर्थक सिर्फ नारेबाजी करने और दरी बिछाने, कुर्सी लगाने वाले बनकर रह जाते हैं। उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता।
देश में लंबे समय से इस बात भी चर्चा-परिचर्चा चल रही है कि आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए। इस तरह इसमें पिछड़े हुए सभी वर्ग के लोग शामिल हो पाएंगे। सामाजिक रूप से आरक्षण का लाभ पहले से ही सक्षम लोग उठा लेते हैं, इसलिए उनका लगातार विकास होता रहता है। आर्थिक आधार होने की स्थिति में वे लोग ही पात्र होंगे, जो सही में पिछड़े हुए हैं और उन्हें समाज के बाकी लोगों के बराबर लाने की जरूरत है। इस पर सरकारों से पुख्ता तरीके से फैसले की मांग की जाती रही है।
पीएससी में अगर कलेक्टर के बेटे को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता तो उनकी जगह बस्तर या सरगुजा के किसी बच्चे को डिप्टी कलेक्टर बनने का अवसर मिलता। NPG ऑफिस में फोन कर यही सवाल उठा रहे थे, इन इलाकों के बच्चे।
सोर्स - NPG


















