चाम्पा क्षेत्र की जनता पूछ रही है जिम्मेदारों से सवाल की क्या ,, ये सब सिर्फ चुनावी स्टंट था या फिर ,,
जांजगीर चाम्पा , 2020-08-01 15:05:27
चाम्पा 01अगस्त 2020 - लगभग तीन साल से बन्द चाम्पा के बिर्रा समपार को खोलवाने या फिर वैकल्पिक मार्ग देने के नाम पर खूब आंदोलन किये गए , कभी रेल्वे स्टेसन के बाहर नांगड़ा बजा कर रेल प्रसासन को जगाने का प्रयाश किया गया तो कभी रेल रोको आंदोलन कर आन्दोलन को उग्र बनाने का प्रयाश किया गया , यहाँ तक कि बन्द समपार में रास्ता नही तो मतदान नही तक का बैनर लगा कर निकाय चुनाव को प्रभावित करने का प्रयाश किया गया लेकिन एक बार भी गाँधी विचार धारा वाले आंदोलन करने के बारे में विचार नही किया गया ।
अब आते है मुद्दे की बात पर बन्द बिर्रा समपार को खुलवाले के लिए पहला आंदोलन नंगड़ा बजा कर किया गया , उसके बाद आधे अधूरे ओवर ब्रिज के नीचे बैठक कर रेल रोको आंदोलन की रूप रेखा बनाई गई जिसके बाद रेल रोको आंदोलन किया गया जिसे प्रसासन ने विफल कर दिया फिर कथित प्रभावित वार्ड वासियो के नाम पर फाटक पर यह लिख कर बैनर लगा दिया गया की रास्ता नही तो मतदान नही ,, ये सब हुआ नगरीय निकाय चुनाव से पहले अब नगरीय निकाय चुनाव को बीते साल भर होने को आये लेकिन इन एक साल में बंद बिर्रा समपार को लेकर एक भी ना तो आंदोलन हुए और ना रणनीति बनाने के लिए बैठके हुई ।
अब सवाल यह है की क्या समस्या खत्म हो गई है या फिर यह सब लोगो को बरगलाने के लिए चुनावी स्टंट मात्र था , निकाय चुनाव से पहले जीतने जोर शोर से चाम्पा के बिर्रा समपार को खोलवाने के लिए दिखावा किये गए वो चुनाव के जाते ही साबुन के झाग की तरह बैठ गए , अब चाम्पा की जनता यह यह जानना चाह रही है की क्या अब कभी बिर्रा समपार को खोलवाने के लिए प्रयास होगा या नही ।
खास बात यह है बिर्रा समपार के नाम पर जिस किसी ने अपनी राजनीति चमकानी चाही वो राजनीति से दूर हो गए या फिर चाम्पा की समझदार जनता ने उन्हें घरों पर बैठने को मजबूर कर दिया और जो सीधा साधा था जिसे बिर्रा समपार की लड़ाई से कुछ लेना देना नही था उसे चाम्पा की जनता ने शहर का प्रथम नागरिक चुन लिया।