सक्ती - पोरथा में चल रहे आरामिल से भर रही है वन विभाग के अधिकारियों की झोली, हर अधिकारियों तक पँहुच रहा है कमिसन
सक्ती 24 नवम्बर 2025 - सक्ती के जिला बनने का फायदा आम लोगो और ब्यापारियों को कितना हुआ है इसका तो पता नही लेकिन जिला बनने के बाद जितने भी अधिकारी यँहा पदस्थ हुए उनकी झोली खूब भरी है। चाहे वो खनिज विभाग के अधिकारी हो या फिर राजस्व विभाग के सक्ती जिले को लूटने में कोई कसर बाकी नही छोड़े है।
इस बीच वन विभाग का एक नया कारनामा सामने आया है जिसमे कहा जा रहा है कि सक्ती जिले में वन विभाग के अधिकारियों के संरक्षण और देख रेख में आरामिल का कारोबार खूब फल फूल रहा है। अब आरामिल का ये कारोबार कितना वैध और कितना अवैध इसकी जानकारी सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के एक फैसले पर निर्भर करता है।
माननीय उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के फैसले को ध्यान से पढ़े तो उसमें साफ लिखा है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र में जंगल से 10 किलोमीटर की दूरी (एयर डिस्टेंस) पर कोई भी आरामिल संचालित नही किया जा सकता है हालांकि यह नियम पालिका और निगम क्षेत्र के लिए लागू नही है। साथ ही किसी भी आरामिल में कहुआ का लकड़ी चीरना पूरी तरह प्रतिबंधित है इसके बावजूद सक्ती में ये सब हो रहा है।
इस खबर पर हम ज्यादा दूर नही जाते है और बात करते है ग्राम पंचायत पोरथा और डोंगिया के बीच पुराने NH-49 पर संचालित एक आरामिल की तो यह आरामिल किसी भी तरह से माननीय उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के निर्णय (आदेश) का पालन नही कर रहा है। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत पोरथा में संचालित यह आरामिल किसी राठौर का है और वह काफी पढ़ा लिखा होने के साथ गांव का सरपंच भी रह चुका है।
जिस स्थान पर राठौर जी का यह आरामिल संचालित है उस रास्ते से कम से कम दिन में दो बार कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक और वन विभाग के अधिकारी गुजरते है इसके बावजूद भी ये सब होना स्पष्ट रूप से किसी बड़े सेटिंग की तरफ इशारा करता है।
कोई बड़ी बात नही की cgwebnews.in की बाकी खबर की तरह इस बड़ी खबर को भी सम्बंधित अधिकारी नजर अंदाज कर दे। लेकिन हम उन्हें तब तक आईना दिखाते रहेंगे जब तक सक्ती के लोगो की आँखे नही खुल जाती है।
इस खबर पर लगातार अपडेट जारी रहेगी..


















