इमरजेंसी के काले अध्याय को कोई भी भारतीय कभी नहीं भूलेगा - आयुष शर्मा अन्नपूर्णा
सक्ती 25 जून 2025 - आज आपातकाल (Emergency) के 50 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर जिला पंचायत के सभापति व युवा भाजपा नेता आयुष शर्मा "अन्नपूर्णा" ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का एक काला अध्याय है।
इस दिन को भारतीय लोग संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि इस दिन संविधान के मूल्यों को नजरअंदाज किया गया, मौलिक अधिकारों का हनन हुआ और प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया. कई राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक जेल में डाल दिए गए। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की जो 21 मार्च 1977 तक, यानी 21 महीनों तक, लागू रहा।
आयुष शर्मा "अन्नपूर्णा" ने लिखा कि आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वालों को सम्मानित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम उन सभी व्यक्तियों को सलाम करते हैं, जिन्होंने इस लड़ाई में दृढ़ता दिखाई. ये लोग विभिन्न क्षेत्रों और विचारधाराओं से आए थे, लेकिन एक समान लक्ष्य के लिए एकजुट होकर कार्य किया।
आयुष शर्मा "अन्नपूर्णा" ने आगे लिखा कि भारत के लोकतंत्र की सुरक्षा करना और उन मूल्यों को बनाए रखना आवश्यक है, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी. उनका सामूहिक संघर्ष ही वह कारण था, जिसने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने और नए चुनाव कराने के लिए मजबूर किया, जिसमें उन्हें भारी पराजय का सामना करना पड़ा।


















