इस दिन लगने जा रहा है साल का दूसरा सूर्य ग्रहण , जाने सूतक से लेकर ग्रहण तक कि पूरी डिटेल
नई दिल्ली , 2024-08-25 01:23:51
नई दिल्ली 25 अगस्त 2024 - हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का एक विशेष महत्व होता है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है, जिसके कारण पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश कम या पूरी तरह से गायब हो जाता है। आमतौर पर साल भर में 1 सूर्य ग्रहण ही लगता है मगर इस साल 2024 में दूसरी बार लगने जा रहा है।
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगा था, जिसका विशेष प्रभाव अमेरिका और उसके आस पास के देशों में देखने को मिला था। इस ग्रहण की खास बात ये थी कि यह भारत में नहीं दिखा था। इसलिए साल के अगले सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, मसलन- यह सूर्य ग्रहण किस तारीख को लगने वाला है और क्या इस बार ये ग्रहण हम सब को दिखेगा या नहीं? ऐसे में आइए इस लेख में साल के दूसरे सूर्य ग्रहण से जुड़ी जानकारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण आश्विन मास की अमावस्या तिथि को लगेगा। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 2 अक्टूबर 2024 को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा। इस दिन सूर्य ग्रहण रात के 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा जो देर रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। हस ग्रहण की कुल अवधि करीब 6 घंटे 4 मिनट की होगी।
इस साल का पहला सूर्य भारत में नहीं दिखा था। अब हैरान करने वाली ये है कि इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं नजर आएगा। ऐसा होने के पीछे का मुख्य कारण ये है कि ग्रहण भारतीय समय अनुसार रात के समय में लगेगा।
अब सवाल ये है कि अगर भारत में नहीं दिखेगा तो दुनिया के किन-किन देशों के लोग इस ग्रहण को देख पाएंगे चिली ब्राजील , कूक आइलैंड , पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, फिजी , अर्जेंटीना, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, आर्कटिका , उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स और बेका आइलैंड आदि देशों के लोग इस सूर्य ग्रहण को देख सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण लगने के समय के ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। अब क्योंकि इस बार भारत में ये सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा इसलिए सूतक काल का मान्य नहीं होगा। बता दें कि जब सूतक काल लगता है, तो शुभ और मांगलिक कामों नहीं किए जाते हैं। साथ ही लोग इस अवधि में पूजा-पाठ भी करने से बचते हैं। सूतक काल में मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं, ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर को गंगाजल से पवित्र करके ही फिर कपाट खोलते हैं।