भारत देश मे इस जिले के लोग 15 अगस्त को नही बल्कि इस तारीख को मनाते है आजादी का जश्न , क्या है वजह जाने इस खबर में ,,
देश , 15-08-2020 12:30:08 PM


नई दिल्ली 15 अगस्त 2020 - पूरा देश हर साल 15 अगस्त को आजादी का यह पर्व मनाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पश्चिम बंगाल का नादिया जिले में 15 अगस्त को नही बल्कि 18 अगस्त को आजादी का पर्व मनाया जाता है। दरअसल, आजादी के समय हुई एक गलतफहमी के कारण नादिया के लोग 18 अगस्त को आजादी का जश्न मनाते हैं।
एक गलतफहमी से भड़की थी हिंसा
12 अगस्त 1947 को ऐलान किया गया था कि भारत आजाद होने जा रहा है। साथ ही रेडियो पर बताया गया कि भारत अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को और पाकिस्तान 14 अगस्त को मनाएगा। रेडियो को जरिए देश में लोगों को बताया कि भारत और पाकिस्तान का बंटवारा कर दिया गया है और कौन-सा क्षेत्र किस देश का हिस्सा है। अंग्रेजों ने एक नक्शा भी जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि कौन-सा क्षेत्र कहां है।
नादिया जिले के पांच ऐसे हिस्से पाकिस्तान में बताए गए जो हिंदू बहुल थे। जैसे ही लोगों को इसका पता चला, हिंसा भड़क गई हिंदु और मुस्लिमों में खूब संघर्ष हुआ।
रानी ज्योर्तिमय देवी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, काबू लाहिरी समेत कई लोगों ने इसका विरोध किया। उन्होंने अंग्रेजों को बताया कि यह हिंदू बाहुल्य क्षेत्र हैं जो पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। इसके बाद वायरसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सभी पक्षों को बुलाया और उनकी बाद सुनी। पता चला कि नादिया जिले का गलत नक्शा जारी कर दिया गया था। आनन-फानन में नया मैप जारी किया गया, जिसे नादिया तक पहुंचने में दो दिन लग गए यानी नया नक्शा 17 अगस्त को नादिया पहुंचा। इसके अगले दिन यानी 18 अगस्त को लोगों ने पाकिस्तान के झंड़े उखाड़ फेंके और तिरंगा लहराते हुए आजादी का जश्न मनाया।
तब से अब तक वहां 15 अगस्त के बजाए 18 अगस्त को आजादी का जश्न मनाने की परंपरा चली आ रही है।