छत्तीसगढ़ के लिए पहेली बन चुकी भैस का कराया जाएगा DNA टेस्ट , जाने क्या है मामला
रायपुर , 24-11-2023 5:51:07 AM
रायपुर 24 नवंबर 2023 - 9 साल पहले 12 दिसंबर 2014 को क्लोनिंग से पैदा हुई दीपआशा (भैस) के बारे में अभी तक यह पता नहीं लग पाया है कि वह वन भैंसा है या मुर्रा भैंस? इसलिए अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के पास DNA सैंपल भेज कर पता लगाया जाएगा कि दीपआशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंस।
अगस्त 2018 में रायपुर लाने के बाद दीपआशा सात परदे के पीछे कैद है VVIP के अलावा उसे कोई नहीं देख सकता। वन विभाग के अधिकारियों को पता है कि दीपआशा मुर्रा भैंस है अगर आधिकारिक रूप से घोषित हो जाए कि वह मुर्रा भैंस है, वन भैसा नहीं है, तो वन विभाग की बहुत बदनामी होगी क्योंकि करोडों खर्च कर जब वह पैदा हुई थी तो अंतर्राष्ट्रीय खबर बनवाई गई थी कि दुनिया में पहली बार छत्तीसगढ़ ने वन भैंसे की क्लोनिंग कराई।
दीपआशा जिस बाड़े में रखी गई है उसकी लागत डेढ़ करोड़ बताई जाती है। बदनामी से बचने के लिए वन विभाग नहीं चाहता कि कोई टेस्ट ही जिससे पता चल जाये कि दीपआशा वन भैंसा नहीं है।
पैदा होने के 4 साल बाद जब दीपआशा मुर्रा भैंस दिखने लग गई तब अधिकारियों को होश आया कि DNA टेस्ट कर लेना चाहिए। निर्णय लिया गया कि CCMB हैदराबाद और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून को DNA टेस्ट के लिए सैंपल भेजना चाहिए। परन्तु सैंपल सिर्फ CCMB हैदराबाद भेजा गया। जहां से आज तक रिपोर्ट नहीं आई है और ना ही अधिकारियों ने रिपोर्ट लाने में रुचि दिखाई।



















