जांजगीर चाम्पा जिले का एक ऐसा विधानसभा सीट जँहा जिसने भी जीता विपक्ष में ही बैठा , नही मिला सत्ता का सुख
जांजगीर चाम्पा , 28-08-2023 6:03:48 AM
जांजगीर चाम्पा 28 अगस्त 2023 - अकलतरा विधानसभा सीट राजा-महाराजाओं के जमाने की राजनीतिक सीट रही है। साल 1957 में जब इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए तो क्षेत्र के राजा ठाकुर भुवन भास्कर सिंह ने 8132 वोट के भारी भरकम अंतर से जीत दर्ज की थी। महाराजाओं की राजनीति के अलावा भी यह सीट पूरे प्रदेश में अपने अनूठे रिकॉर्ड के लिए भी जानी जाती है। चाहे प्रदेश बनने के पहले की बात हो या फिर छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद। यहां जो विधायक बनता है, उसकी सरकार नहीं बन पाती। ऐसे में विधायक को विपक्ष में रहकर ही राजनीति करनी पड़ती है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आगे पढ़ें इस रिपोर्ट में..
अकलतरा विधानसभा का यह रिकॉर्ड सुनकर हर कोई चौंक जाता है और वो रिकॉर्ड ये है कि साल 1990 से इस सीट से जो भी विधायक बना वो हमेशा विपक्ष की भूमिका में रहा। इसे ऐसे समझते हैं..
वर्ष 1990 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार जवाहर दुबे ने जीत हासिल की, लेकिन उस वक्त मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी।
वर्ष 1993 और 1998 में भाजपा के छतराम देवांगन विधायक बनें, लेकिन एमपी में कांग्रेस की सरकार रही।
साल 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य में जब पहला चुनाव हुआ तो कांग्रेस के रामाधार कश्यप ने जीत हासिल की, लेकिन सरकार बनी भाजपा की।
2008 में अकलतरा के विधायक बसपा के सौरभ सिंह बनें, लेकिन फिर से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनीं।
वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस के चुन्नीलाल साहू जीते, लेकिन इस बार भी भाजपा की सरकार बनीं।
2018 के चुनाव में भाजपा से सौरभ सिंह जीते तो सरकार बनीं कांग्रेस की।
साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तात्कालीन राज्यसभा सांसद रामाधार कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने भाजपा के विधायक रहे छतराम को 1430 वोट के अंतर से चुनाव हराया। लेकिन प्रदेश में सरकार भाजपा की बन गई। ऐसे में रामाधार ने राज्यसभा का सदस्य बने रहना पसंद करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट पर जनवरी 2004 में उपचुनाव हुए। इस चुनाव में पूर्व विधायक छतराम देवांगन ने जीत दर्ज की। इस तरह छतराम देवांगन को तीसरी बार विधायक बनने के साथ सत्ता सुख भी नसीब हुआ।


















