सक्ती में कठिन है जीत की डगर , क्या मोती की सीट पर है डॉ महंत की नजर
जांजगीर चाम्पा , 20-08-2023 4:41:23 PM
जांजगीर चाम्पा 20 अगस्त 2023 - राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता। कभी डॉ महंत के करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी व पूर्व मंत्री राजा सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने अपने दत्तक पुत्र धर्मेन्द्र सिंह के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा के समक्ष दावेदारी पेश की। वहीं राठौर समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले मनहरण राठौर ने भी शक्ति प्रदर्शन करते हुए शैलजा के समक्ष ताल ठोंकी है।
चुनाव के ऐन पहले सक्ती की सियासत में इस तरह उबाल आना अच्छे संकेत नहीं है। राजनीति के जानकारों का मानना है इन दोनों के इस तरह डॉ. चरणदास महंत का खुलकर विरोध करने से उनकी राह कठिन हो सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं ऐसे में डॉ. महंत अपने पुरानी सीट जांजगीर चाम्पा से किस्मत आजमा सकते हैं।
बता दें कि स्व. बीडी महंत चाम्पा विधानसभा सीट से कई चुनाव लड़े हैं। उनके बाद इस सीट से पहली बार 1980 में डॉ. महंत ने चुनाव लड़ा और 17201 वोटों से भाजपा के बलिहार सिंह को हराया। इसके बाद वो इस सीट से लगातार 1993 तक चार बार चुनाव लड़े, जिसमें तीन बार उन्हें जीत मिली। एक बार 1990 में भाजपा के बलिहार सिंह ने 1993 वोटों से उन्हें हराया था। इस लिहाज से भी देखा जाए तो डॉ. महंत परिवार का यह पारंपरिक सीट रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत अभी सक्ती के मौजूदा विधायक हैं। बताया जाता है वर्ष 1998 के चुनाव में पूर्व मंत्री राजा सुरेन्द्र बहादुर सिंह और मनहरण राठौर को अपने पक्ष में करने के बाद ही अंतिम दौर में उन्होंने चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार दोनों ने दावेदारी पेश कर डॉ. महंत के खिलाफ खुलकर विरोध में आ गए है। इससे इस बार सक्ती से डॉ. महंत की डगर कठिन नजर आ रहा है।
इन दोनों बड़े नेताओं की नाराजगी से सक्ती विधानसभा में काफी उठा पटक देखने को मिल सकता है। वहीं इसका खामियाजा मौजूदा विधायक डॉ. चरण दास महंत को भी भुगतना पड़ सकता है। राजनीति के जानकारों का यह भी मानना है कि यदि इन सबके बावजूद डॉ. महंत सक्ती से चुनाव लड़ते हैं तो भीतरघात होने की पूरी संभावना है।
ऐसी स्थिति में समय रहते दोनों को अपने पक्ष में किए बिना डॉ. महंत का सक्ती से चुनाव जीत पाना बड़ी चुनौती है। हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। क्योंकि अभी कांग्रेस में जिस तरह के हालात है, उसे देखकर समझा सकता है कि पल पल खेल बदल रहा है। इससे माना जा सकता है कि समय रहते इन दोनों नेताओं की नाराजगी दूर कर ली जाएगी।


















