आखिर कितनी बार आएगी कोरोना की लहर , जानें कोरोना की लहरों का पूरा हिसाब किताब
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नई दिल्ली
नई दिल्ली 17 जनवरी 2022 - दुनिया में कोरोना संक्रमण की अभी तक कई लहरें आ चुकी है। भारत में हेल्थ सेक्टर और सरकार का मानना है कि देश में फिलहाल तीसरी लहर उछाल पर है और इस कारण रोज ही कोरोना संक्रमण के मामलों में उछाल आ रहा है। ऐसे में लोगों को कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचने के लिए लगातार अलर्ट भी किया जा रहा है, लेकिन लोगों के मन में यह भी सवाल है कि पहली, दूसरी और तीसरी के बाद आखिरकार कोरोना संक्रमण की कितनी लहर आएगी और कब तक लोगों को इन प्राणघातक ‘लहरों’ का सामना करना पड़ेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों के साथ-साथ कई अन्य स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि कोरोना वेब फिलहाल दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग स्तर पर है। भारत में भले ही अभी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चल रही हो, लेकिन दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां कोरोना संक्रमण की चौथी लहर भी आ चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की लहर इस बात पर निर्भर करती है कि कोरोना वायरस किस रूप में म्यूटेट हो रहा है और नया वेरिएंट किस रूप में संक्रामक है। दिल्ली स्थित आईवीएफ विशेषज्ञ और ‘सीड्स ऑफ इनोसेंस’ की संस्थापक डॉ. गौरी अग्रवाल का कहना है कि जैसे 1918 की महामारी को यदि एक मानदंड के रूप में देखा जाए तो यह संभावना जताई जा सकती है कि कोरोना संक्रमण भी पूरी तरह से दुनिया से कभी खत्म नहीं होगा, लेकिन साथ ही डॉ. गौरी अग्रवाल ने कहा है कि धीरे-धीरे कोविड-19 एक स्थानीय महामारी के रूप में तब्दील हो जाएगा। ऐसी स्थिति में व्यापक पैमाने पर कोरोना संक्रमण की लहरें आने की आशंका कम हो जाएगी।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव का कहना है कि भारत में अभी तक डेल्टा वेरिएंट का कहर ही सबसे ज्यादा रहा है। ओमिक्रोन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की तुलना में बहुत ज्यादा संक्रामक रहा है लेकिन ओमिक्रोन वेरिएंट में मृत्यु दर काफी कम रही है। उनका कहना है कि ओमिक्रोन वेरिएंट का जोखिम ऐसे मरीजों में ही देखा जा रहा है, जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली है।
इसका साफ मतलब है कि भविष्य में कोरोना संक्रमण की और लहरें भी तभी आने की आशंका जब वायरस में बहुत ज्यादा म्यूटेट होने पर कोई नया वेरिएंट सामने आए लेकिन ऐसे स्थिति में भी अधिकांश लोगों में वैक्सीन लगने के कारण एंटीबॉडी तैयार होने से ज्याादा खतरनाक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा। कोविड-19 बीमारी भी मानव शरीर पर स्थानीय व मौसमी बीमारियों की तरह व्यवहार करेगी।