इंटरनेट मीडिया पर एक फारवर्ड या एक क्लिक आपको बना सकता है मुजरिम , पूरी खबर को ध्यान से पढ़े
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मध्य प्रदेश
ग्वालियर 18 नवम्बर 2021 - इंटरनेट मीडिया पर बाल यौन शोषण के मामले में आपका एक फारवर्ड आपको मुजरिम बना सकता है। बाल यौन शोषण को लेकर हाल ही में CBI ने देश भर में छापेमारी की है। बाल यौन शोषण के मामले में इंटरनेट मीडिया व्हाटसएप , इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म को जरिया बनाया जाता है, ग्रुप्स में लोगों को जोड़ लिया जाता है,ऐसे में चाइल्ड पोर्न से जुड़े वीडियो पोस्ट-लिंक शेयर किए जाते हैं जिन्हें आप देखें या न देखें या अनजाने में क्लिक या फारवर्ड कर दें, तो आप आइटी एक्ट के तहत आरोपी बन सकते हैं। जांच एजेंसी आनलाइन इसको लेकर निगरानी भी करती हैं जिसके आधार पर कार्रवाई की जाती है।
CBI ने जो छापेमारी की है यह इसी आधार पर पड़ताल के बाद की है। इसमें ग्वालियर के पिछोर क्षेत्र के एक युवक को भी कटघरे में लिया गया है और मोबाइल सिम कार्ड टीम अपने साथ जब्त कर ले गई। प्राथमिक पड़ताल में राहुल भी चार से पांच व्हाटसएप ग्रुप में जुड़ा था। वहीं ग्वालियर चंबल अंचल 2020 में ऐसे 129 लोगों पर केस दर्ज किया गया जो मोबाइल या कंप्यूटर पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देख रहे थे।
बता दे की CBI ने बाल यौन शोषण के मामले में देश भर में 14 राज्यों में छापेमारी की थी जिसमें ऐसे लाेगों की कड़ी सामने आई जो बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर रहे थे। ग्वालियर के पिछोर थाना इलाके में बड़ी अकबई गांव में रहने वाले राहुल राणा को ट्रैक किया गया। राहुल के पास से दो खराब मोबाइल , तीन सक्रिय मोबाइल व लैपटाप मिला। लैपटाप भी खराब अवस्था में ही निकला। राहुल चार से पांच व्हाटसएप ग्रुप में जुडा था और कई लिंक व पोस्ट उसके मोबाइल में मिले जिनकी पड़ताल की जा रही है। उपकरणों को टीम अपने साथ ले गई और राहुल को सवालों के बाद छोड़ दिया गया। राहुल ने भी कई ग्रुपों पर अश्लील कंटेंट को क्लिक व फारवर्ड किया, यह पुलिस जानकारी सामने आई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ट्रिपलाइन विंग के जरिए मानीटरिंग की जाती है, आप बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देखेंगे, फारवर्ड करेंगे या लिंक पर क्लिक करेंगे तो सर्वर उसे ट्रैक कर लेता है। मोबाइल फोन पर किसी भी माध्यम से बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री से जुड़े लिंक आते हैं या कोई व्यक्ति किसी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म में आपत्तिजनक सामग्री को सर्च करता है या फिर अनजाने में भी उस लिंक पर क्लिक करता है तो उसकी जानकारी साइबर सेल के पास पहुंच जाती है। साइबर पुलिस आइपी एड्रेस और मोबाइल नंबर के जरिये उस तक पहुंच जाती है।