कोरोना काल मे लगे लॉकडाउन की अब तक कि सबसे मार्मिक और दिल को छू लेने वाली सच्ची घटना छत्तीसगढ़ से आई सामने
cgwebnews.in
जगदलपुर
जगदलपुर 24 फरवरी 2021 - वैसे तो लॉक डाउन के दौरान की ढेरों घटनाएं आपने पढ़ीं और सुनी होंगी, लेकिन इंजीनियर शुभम रामटेके के प्रेम विवाह के बाद पहले परिवार और फिर नौकरी छूटने, तंगी के हालात में पत्नी और साल भर के बेटे की भूख मिटाने के लिए अपराधी बन सलाखों के पीछे चले जाने का मामला भीतर तक झकझोर देगा। पुलिस ने भी एक तरफ जहां अपना कर्तव्य निभाते हुए युवक को गिरफ्तार किया, वहीं उसकी दास्तां सुन इंसानियत भी दिखाई और युवक की पत्नी को मासूम के साथ उसके मायके नागपुर भेज दिया।
शुभम रामटेके की जिंदगी में करीब साल भर में आए उतार-चढ़ाव किसी मुंबइया फिल्म की कहानी से कम नहीं है। नागपुर निवासी शुभम रामटेके सिविल में इंजीनियरिंग है। पिता अच्छे-खासे कारोबारी हैं। उनकी पांच ट्रकें भी चलती हैं। दरअसल, करीब सालभर पहले नागपुर की ही एक युवती पायल से प्रेम हो गया। जीवनभर साथ निभाने का वादा किया और शादी कर ली। युवती दूसरे समाज से थी, इससे शुभम के स्वजन नाराज हो गए और उसे घर से निकाल दिया। इसी दौरान लाकडाउन लग गया और नौकरी भी चली गई। रिश्ता जोड़ा था, सो निभाना भी था।
शुभम नागपुर में ही छोटा-मोटा काम कर किसी तरह घर चलाता रहा। करीब दो माह पहले उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। इससे खुशियां तो आईं लेकिन तंग हालात ने उसे महसूस करने नहीं दिया। हालात और बदतर हुए तो रोजी-रोटी की तलाश में शुभम पत्नी व बेटे को लेकर 28 जनवरी को बस्तर आ गया। यहां शांतिनगर में किराए पर मकान लेकर रहने लगा। पुणे के एक मित्र के सहयोग से उसने आयुर्वेदिक दवाइयां बेचने का काम शुरू किया। दुर्भाग्यवश धंधा नहीं चल पाया। हालत यह हो गई कि मकान का किराया अटक गया। मालिक बार-बार तगादा करने लगा। चूल्हा जलना भी मुश्किल होने लगा। मासूम बेटा दूध के लिए रोता तो शुभम परेशान हो जाता। इसके चलते वह तेजी से डिप्रेसन में जाने लगा।
करीब दो सप्ताह पहले काम की तलाश में घर से निकला शुभम रामटेके संजय बाजार में ओडिशा की एक महिला से लूटपाट कर ली। उसके सोने के टाप्स व दो हजार रुपये छीन लिए बीते रविवार को पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया है।
कोतवाली थाना प्रभारी उपनिरीक्षक पीयूष बघेल जब शुभम को गिरफ्तार करने शांतिनगर स्थित उसके निवास में पहुंचे तो पायल और मासूम को रोते-बिलखते देखा। पायल ने बताया कि बेटा भूखा है। पति के बिना यहां असुरक्षित महसूस कर रही है। इस पर पीयूष बघेल ने विभागीय अवकाश लेकर पायल को उसके मायके निर्मल कालोनी नारारोड, झारीपटना नागपुर लेकर पहुंचे और उसके स्वजनों के सुपुर्द कर दिया।