कोरोना को लेकर नया खुलासा , शोध में सामने आई चौकाने वाली बात , अगर कोरोना पॉजेटिव हो चुके हो तो इस खबर को जरूर पढ़ें
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नई दिल्ली
नई दिल्ली 21 मार्च 2023 - दुनिया भर में कोविड-19 के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं और तमाम देशों को दहलानेवाली इस वैश्विक महामारी का असर खत्म होने लगा है। लेकिन इसके लोगों पर पड़े असर पर अभी रिसर्च चल रहे हैं और कई मामलों में चौंकानेवाले नतीजे सामने आ रहे हैं। कोविड के असर पर किये गये ताजा शोधों के मुताबिक कोविड-19 के संक्रमण की वजह से लोगों के दिमाग पर असर पड़ रहा है। एक मेडिकल मैग्जीन में छपी नई स्टडी में पहली बार कोविड-19 के कारण प्रोसोपैग्नोसिया या फेस ब्लाइंडनेस (चेहरे पहचानने में परेशानी) की समस्या की बात कही गई है। ये एक ऐसी स्थिति है, जिससे लोगों को अपने जान-पहचान वालों के चेहरे पहचानने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दुनिया में 2 से 2.5 प्रतिशत लोगों के इससे प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया है।
इससे पहले की गई स्टडी में कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण गंध व स्वाद का पता न चलना और ध्यान न लगा पाना, याददाश्त कमजोर होना, बोलने की समस्या समेत नर्व से जुड़ी कई दूसरी परेशानियां आने की बात कही गई थी। अमेरिका में एक मरीज दो महीने तक इस तरह के लक्षणों से प्रभावित रही। इसी तरह एक अन्य मरीज ने बताया कि वो अब लोगों को पहचानने के लिए आवाजों पर निर्भर है। उन्हें Covid-19 की चपेट में आने के बाद रास्ते पहचानने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ा। साथ ही परिवार वालों के चेहरे भी नहीं पहचान पा रही थी।
PTI के मुताबिक, नई दिल्ली के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि Covid-19 के कारण ‘फेस ब्लाइंडनेस’ होने की कई संभावित वजहें हो सकती हैं। Covid-19 के लंबे समय तक के असर में मस्तिष्क की कई समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा Covid-19 से ब्लड वेसल्स में सूजन और नुकसान हो सकता है, जिससे दिमाग में खून का फ्लो कम हो सकता है। इस वजह से भी चीजों का याद रखने में परेशानी और चेहरे पहचानने में दिक्कत आ सकती है। राहत की बात ये है कि कुछ महीनों के बाद अधिकांश मरीज इस तरह के लक्षणों से पूरी तरह उबर चुके थे। यानी कोविड का ये असर ज्यादा लंबा नहीं टिकता और धीरे-धीरे ठीक हो सकता है।