छत्तीसगढ़ के इस यूनिवर्सिटी में हुआ नई शिक्षा नीति लागू , जाने नई शिक्षा नीति के बारे में पूरी जानकारी
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सरगुजा
अंबिकापुर 08 अगस्त 2022 - राजीव गांधी शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला उत्तरी छत्तीसगढ़ का पहला शासकीय महाविद्यालय बन गया है। यहां सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री, आनर्स की विषयवार पढ़ाई होगी। सेमेस्टर प्रणाली से यह पाठ्यक्रम संचालित होगा। छत्तीसगढ़ के सभी स्वशासी महाविद्यालय में उच्च शिक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है।
राजीव गांधी शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर में इसके लिए पाठ्यक्रम का निर्धारण भी कर दिया है। चालू शिक्षा सत्र से ही यहां नई शिक्षा नीति के नियमों के तहत पढ़ाई आरंभ की जाएगी। शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों के साथ दो बार हुई बैठक में महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा तैयार प्रस्ताव को हरी झंडी भी दे दी गई है। वर्तमान में कालेज में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। स्वशासी महाविद्यालय होने के कारण यहां विश्वविद्यालय से संबंधित प्रवेश प्रक्रिया लागू नहीं है। कालेज प्रबंधन द्वारा प्राप्त आवेदनों के आधार पर प्रावीण्य सूची जारी की गई है और उसी अनुरूप चार वर्षीय डिग्री आनर्स पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा में यह नवाचार है जिसका लाभ भविष्य में विद्यार्थियों को सीधे मिलेगा। केंद्र और राज्य शासन स्तर से होने वाली शासकीय भर्तियों में भी नई शिक्षा नीति के तहत लागू पाठ्यक्रम और उस अनुरूप पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को भी अवसर दिए जाएंगे। बता दें कि देशभर में एक समान शिक्षा नीति लागू करने के उद्देश्य स्कूली और उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। धीरे- धीरे राज्यों में इसे लागू किया जा रहा है। बिहार , उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इसी नीति के तहत पढ़ाई पहले से ही की जाती है।
नई शिक्षा नीति के तहत कालेज में चार वर्षीय डिग्री आनर्स पाठ्यक्रम संचालित किया जाएगा। प्रत्येक छह महीने में सेमेस्टर प्रणाली से परीक्षा होगी।लेकिन इसमें स्नातक या स्नातकोत्तर का नाम नहीं होगा बल्कि विषय के साथ नाम जुड़ेगा।एक वर्ष में दो सेमेस्टर की परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले को सर्टिफिकेट, दो वर्ष में चार सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने वाले को डिप्लोमा , तीन साल में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने वाले को डिग्री मिलेगी।डिग्री के बाद आनर्स के लिए जरूरी होगा कि वह कम से कम 75 सीजीपीए(परसेंटाइल) के साथ उत्तीर्ण हों।इसके बाद एक साल की पढ़ाई में पीजी की पढ़ाई पूरी होगी।डिग्री के बाद 75 सीजीपीए से कम अंक वाले को आनर्स का मौका नहीं मिलेगा।
पुरानी नीति के तहत जब तक तीन साल की पढ़ाई और परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होती थी तो स्नातक की उपाधि नहीं मिलती थी लेकिन नई शिक्षा नीति में एक वर्ष यानी दो सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर सर्टिफिकेट के बाद भी वह पढ़ाई छोड़ सकता है।यही व्यवस्था डिप्लोमा की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी लागू होगी लेकिन संबधित छात्र का क्रेडिट बरकरार रहेगा।वह बाद में भी सर्टिफिकेट,डिप्लोमा के बाद डिग्री और आनर्स की पढ़ाई कर सकता है।
नई शिक्षा नीति में सिर्फ बीएससी , बीए या बीकाम का नाम नहीं रहेगा विषय के साथ विद्यार्थी की उपाधि जानी जाएगी। कोई रसायन से बीएससी कर रहा है तो उसे बीएससी रसायन कहा जायेगा इसमें भी पढ़ाई के सालों के आधार पर उपाधि तय होगी जैसे बीएससी रसायन सर्टिफिकेट , बीएससी रसायन डिप्लोमा , बीएससी रसायन डिग्री, बीएससी रसायन आनर्स इत्यादि।इसी प्रकार सभी विषयों के साथ उपाधि को जाना जाएगा।
प्रथम सेमेस्टर से लेकर तृतीय सेमेस्टर तक तीन ऐसे विषय होंगे जिसकी पढ़ाई सभी को करनी होगी।चौथा विषय ऐच्छिक होगा जिसमें विद्यार्थी आगे डिप्लोमा, डिग्री, आनर्स करना चाहता हैं।यह छात्र की अभिरुचि वाला विषय होगा जिसमें वह अपना करियर बनाना चाहता है। कालेज ने पाठ्यक्रम निर्धारित कर दिया है स्वशासी कालेज होने के कारण पाठ्यक्रम का निर्धारण समय पर परीक्षा परिणाम सब कुछ कालेज प्रबंधन द्वारा ही घोषित किया जाएगा।
वर्तमान समय में शासकीय सेवाओं अथवा विभिन्न रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के दौरान स्नातक, स्नातकोत्तर की उपाधि देखी जाती है लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत सिर्फ सर्टिफिकेट, डिप्लोमा की पढ़ाई करने वालों के समक्ष यह सवाल उठ सकता है कि उनका करियर कैसा होगा? इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि देशभर में नई शिक्षा नीति लागू हो रही है, ऐसे में रोजगार के लिए जो योग्यता निर्धारित की जाती हैं उसमें भविष्य में निश्चित रूप से भी बदलाव होगा। सर्टिफिकेट और डिप्लोमा करने वालों को भी अवसर जरूर मिलेंगे अकादमिक कालेजों में यह नया प्रयोग है।